घटना की गंभीरता को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सरिता सिंह, पुलिस उपाधीक्षक शिवलाल टेलर और गंगरार थाना अधिकारी डीपी दाधीच मौके पर पहुंचे। पीड़िता की मां की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया और आरोपी को हिरासत में ले लिया। बालिका का मेडिकल परीक्षण करवाया गया और अनुसंधान शुरू कर दिया गया।
इस घटना ने स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश पैदा किया है। बड़ी संख्या में हिंदू संगठन के लोग और अन्य नागरिक एकत्रित होकर कार्रवाई की मांग करने लगे। लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपित के परिजनों ने उसे बचाने का प्रयास किया, और उनके विरुद्ध भी कार्रवाई की मांग की गई। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सरिता सिंह ने स्पष्ट किया कि इस अपराध को हैवानियत की श्रेणी में रखा जाएगा और भारतीय दंड संहिता के तहत अधिकतम धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि आरोपित को किसी भी स्थिति में बख्शा नहीं जाएगा और परिजनों की रिपोर्ट के आधार पर ठोस कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना चित्तौड़गढ़ में बाल सुरक्षा और पुलिस प्रतिक्रिया की गंभीर चुनौतियों को उजागर करती है। इस मामले में पुलिस की प्रतिक्रिया और आरोपित के परिजनों की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि ऐसे मामलों में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
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