DS7 News Network | चित्तौड़गढ़
चित्तौड़गढ़ जिले के चंदेरिया थाना क्षेत्र में 4 साल की मासूम से दुष्कर्म की कोशिश के मामले में न्याय व्यवस्था ने मिसाल कायम की है। जहां एक ओर आरोपी को सिर्फ 2 महीने 8 दिन में दोषी साबित कर 7 साल की सजा सुनाई गई, वहीं पुलिस की 28 दिनों में की गई जांच और चालान पेश करने की कार्यशैली भी न्याय की रफ्तार का प्रतीक बनी।
मासूम की चीख ने बचा ली इज्जत, मां की जागरूकता बनी ढाल
18 फरवरी की रात जब एक मां अपनी सहेली के साथ बातचीत में व्यस्त थी, तब उसकी 4 साल की बेटी पास में खेल रही थी। खेलते-खेलते बच्ची अचानक गायब हो गई। अफरा-तफरी में जब खोजबीन शुरू हुई, तो बच्ची आरोपी सलीम (38) के घर से मिली। वह उसके साथ दरिंदगी की कोशिश कर रहा था, लेकिन मां की जागरूकता और मोहल्ले की सतर्कता ने बच्ची को समय रहते बचा लिया।
28 दिन में चालान, 2 महीने 8 दिन में फैसला – इंसाफ की नई परिभाषा
चंदेरिया थानाधिकारी सुनीता गुर्जर के नेतृत्व में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए महज 28 दिनों में चालान कोर्ट में पेश किया। केस ऑफिसर स्कीम के तहत एएसआई सुरेंद्र सिंह ने केस की कमान संभाली और न्यायिक प्रक्रिया को रफ्तार दी। लोक अभियोजक गोपाल लाल जाट ने 15 गवाह और 23 दस्तावेज कोर्ट में प्रस्तुत किए, जिससे सलीम का अपराध साबित हुआ।
अदालत ने सुनाई 7 साल की सजा, 90 हजार की भरपाई का आदेश
POCSO कोर्ट-1 की पीठासीन अधिकारी लता गौड़ ने आरोपी को सात साल की कैद और 40 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। साथ ही, पीड़िता को 50 हजार रुपए का मुआवजा देने का आदेश भी दिया गया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बच्चों के खिलाफ अपराधों में शून्य सहनशीलता की नीति ही समाज को सुरक्षित बनाएगी।
सजा सुनते ही रो पड़ी आरोपी की पत्नी – झूठे आरोप की दलील कोर्ट ने नकारी
सजा के बाद कोर्ट रूम के बाहर आरोपी की पत्नी फूट-फूटकर रोने लगी। बचाव पक्ष ने इसे पुरानी रंजिश का नतीजा बताया, लेकिन कोर्ट ने आरोपी की दलीलों को खारिज कर दिया। दो पक्षीय गवाहों के सामने 15 सरकारी गवाहों की सच्चाई भारी पड़ी।
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